Kachnar -journey of a tree through Vasant or spring season

https://www.facebook.com/heritageharyana.heritageharyanaमाघ महीने में कचनार फूलों के लिए तैय्यारी करता है. नन्हें अंकुर दिखाई देने शुरू होते हैं. पत्ते भी इनका साथ देते हैं, लेकिन इनका रंग अब हरे से कुछ पीलापन लिए हुए नज़र आने लगता है. १५ दिन और. दिन कुछ गरम होने लगते हैं और दिन का अधिकतम तापमान २३-२५ डिग्री सेल्सिअस और रात का ७-८ डिग्री तक रहता है. तापमान और बढ़ता है तो पेड़ की अनुवांशिकी तेज़ी से काम करती है और चार-पांच दिन में सब अंकुर बड़ी डोडिया बन कर तेज़ी से पूरे फूल का आकार लेती हैं. पत्ते अब झड़ने लगते हैं और टहनियों पर अधिकतर फूल ही नज़र आने लगते हैं. भंवरों की गुंजन, मधुमक्खियों की भिनभिनाहट और बुलबुल एवं सन बर्ड आने लगते हैं. सुबह के समय फूलों से हलकी से खुशबू भी वातावरण में तैरती है. लेकिन खुशबू इतनी हल्की होती है कि उसी मनुष्य के नाक के भीतर के ओल्फक्टोरी सेल्स उसे पकड़ पाते हैं जो बिलकुल स्वच्छ वातावरण में रहने का आदि है. करीब तीन सप्ताह तक पेड़ फूलों से लदा रहता है. मुझे आश्चर्य है कि कचनार इस १२ साल साल की उम्र के जिस पेड़ पर पिछले नौ साल से फूल आते हैं इसके बारे में आज तक पड़ोस में किसी बच्चे और एडल्ट ने जानकारी नहीं ली. मैं और सुनील रोजाना ही चार साल के आदित्य को इसमें आने वाले विभिन्न परिवर्तनों और इंसेक्ट्स और पक्षियों से इसके सम्बन्ध के बारे जानकारी देते रहे हैं. वह बहुत ध्यान से ग्रहण करता प्रतीत होता और रोचक प्रश्न करता है. तीन-चार सप्ताह तक अपना सुन्दर रूप धारण करने के उपरान्त अब एक सप्ताह पूर्व से फलियाँ दिखाई देने लगी हैं. गर्मी बढ़ेगी तो ये पकेंगी और फिर दो-फाड़ होकर बीज इधर-उधर हवा में उड़कर बिखरेंगे. बहुत से नए पौधों के अंकुर बरसात में पेड़ के नीचे दिखाई देंगे. इस पौध को ले जाने में किसी की रुचि नहीं. अगर ऐसा हो आये तो पूरा मोहल्ला कचनार से भर आये ताकि मार्च में फूलों से लदे पेड़ वातावरण को सुन्दर बनाए रखें. हिन्दुस्तान के ९० प्रतिशत लोगों में वातावरण में पेड़ों को लेकर कोई जागरूकता और प्यार मुझे नज़र नहीं आता. पर्यावरण मंत्रालय और प्रदूष्ण निवारण बोर्ड चाहे अरबों रुपए खजाने से लुटा दे - एक तरह से ७० प्रतिशत लुटाता ही है, हिंदुस्तान का पर्यावरण कष्टमय होता रहेगा और हमारा जीवन भी.



Comments