Science Fiction for Children -magazines in Hindi

अपने घर रखे पुस्तक संग्रह को साफ़ करने के दौरान जब तरतीब से रखा जाता है तो 'खोई' हुयी कुछ वस्तुओं को प्राप्त करके बेहद ख़ुशी होती है. आज कुछ भी निकला. पराग दे दो और नंदन का एक अंक.पराग के दिसंबर १९८४ और मई १९९० के अंक और नंदन का जुलाई २००४ का अंक. पराग को 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' ग्रुप प्रकाशित करता रहा, लेकिन न जाने किन वजहों से इसका प्रकाशन स्थगित कर दिया गया. इस बात को भी बरसों हो गए. तब इसके संपादक डॉ. हरिकृष्ण देवसरे हुआ करते थे. नंदन के इस अंक के प्रकाशन के वक़्त मृणाल पांडे ने 'द हिंदुस्तान टाइम्स' ग्रुप ज्वाइन कर लिया था. इसलिए संपादक के बतौर इनका नाम ही दिया गया है.
हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में बाल साहित्य बहुत दिनों से सुलभ है. संभवतः बीसवीं सदी के पहले दशक से ही. लेकिन विज्ञान कथा और फंतासी को सुलभ कराने की पहल डॉ. देवसरे, डॉ. रमेश दत्त शर्मा और बृजमोहन गुप्त ने आपस में मशवरा करके की थी. वे तीनों मित्रवत थे. संयोग से वे अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन वे सब मुझसे स्नेह रखते थे और विशेषांकों के प्रकाशन में इनकी महत्ती भूमिका रहा करती. इन्हीं विशेषांकों के लिए वे मुझसे भी कुछ लेखकीय योगदान करने को कहते.
विज्ञान कथा और फंतासी में मेरी रुचि शायद १९७० आदि के दशक में बनी थी. तब बहुत सा साहित्य इकट्ठा किया और सब पढ़ डाला. वह अभी मेरे निजी संग्रह में है. हमारे यहाँ भारतीय भाषाओं में बच्चों-किशोरों के लिया विज्ञान कथा साहित्य कितना और कैसा उपलब्ध है यह मुझे ठीक से नहीं मालूम, लेकिन हिंदी अंग्रेजी में तो है. इंडिया टुडे ग्रुप की 'टारगेट' पत्रिका में कुछ प्रकाशित होता रहा था ऐसा आभास मुझे है. कुछ-कुछ 'दिल्ली प्रेस पब्लिकेशन' की बाल पत्रिकाओं में इनके प्रबंध संपादक श्री परेश नाथ की भी रुचि रही थी. इस विषय पर शोध कार्य भी शायद हुआ हो.
मैंने पराग और नंदन के अंक पढने और निजी संग्रह के अलावा इस आशय से भी लिए कि मेरे बच्चे इन्हें पढेंगे और फिर पोता-पोती. मेरे अपने बच्चों ने इन्हें पढ़ा, मालूम नहीं लेकिन जब भी मेज पर इन्हें निकाल रखूंगा तो मेरा पांच वर्ष को पोता जरूर रूचि लेगा, ऐसा मुझे विश्वास है. वह बहुत प्रश्न करता है और बारीक नज़र से हरेक चीज को देखता है. इन अंकों में दी गयी कहानियाँ बहुत रोचक हैं. बच्चों को इससे विषयांतर होता है और विज्ञान में उनकी रुचि भी जाग्रत होती है.


Comments