सेंट्रल विस्ता के नक़्शे देखकर, तोड़ कर गिराई जाने वाली कुछ इमारतों को हेरिटेज स्तर की बताकर और यह कहकर इससे कोलोनियल लेगेसी खराब होगी, लोग भयभीत होकर अंट-शंट लिख रहे हैं. मैं यह तो मानता हूँ कि खर्चा करने के लिए यह दौर उपयुक्त नहीं है. लेकिन यह नहीं मान सकता कि नेशनल आर्काइव्ज और नेशनल म्यूजियम की पुरानी बिल्डिंग्स को तोड़ा जाएगा. नेशनल आर्काइव्ज के पीछे 'नेशनल आर्काइव्ज लाइब्रेरी' की बिल्डिंग हैं. इसके साथ शास्त्री भवन को अलग करने वाली एक दीवार हैं. फिर है सेंट्रल सेक्रेटेरिएट लाइब्रेरी की बिल्डिंग तो शास्त्री भवन की एनेक्सी है. जहां तक मुझे मालूम है 'नेशनल आर्काइव्ज लाइब्रेरी को भी शास्त्री भवन के साथ तोड़ा जाएगा. वर्तमान में बैरक्स में चलने वाला इंदिरा गाँधी नेशनल सेण्टर ऑफ़ आर्ट्स भी ढाया जाएगा. इससे संलग्न लेकिन इसी सेण्टर के लिए एक बिल्डिंग चार्ल्स कोर्रिया ने डिजाईन की थी. उसे शायद नयी बिल्डिंग के साथ इन्टीग्रेट किया जाना है.
वैसे क्या विस्ता के पुनर्कल्पना और प्रस्तुत निर्माण योजना बनाने वालों को सिरे से ही मूर्ख समझा हुआ है, ऐसा मुझे अनेक प्रकार के हज़ारों लेख और टिप्पणियों को देख कर महसूस हो रहा है. बहुत से सरोकार यहाँ अनुचित हैं.
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